ज़िंदगी और बदलते शौक – एक सोच

ज़िंदगी में हर चीज़ को पाने की चाह हर समय नहीं होती। हर दौर का अपना एक अलग रंग होता है, एक अलग स्वाद। कभी मैं ऐसा वक़्त भी जी चुका हूँ जब मेरे पास पुराना मोबाइल था तब मुझे फोटो खींचने का बड़ा शौक था। हर रोज़ कुछ नया देखने की चाह रहती थी — पेड़, आसमान, धूप, बारिश — हर चीज़ को कैमरे में कैद करने का जुनून था।

लेकिन अब, मेरे पास एक अच्छा और महँगा फोन है, जिसमें बेहतरीन कैमरा है — फिर भी फोटो खींचने का मन नहीं करता। ये देखकर कभी-कभी हैरानी होती है कि जो चीज़ कभी जुनून थी, वो अब एक आम सी बात लगती है।

शायद यही जीवन का सच है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हमारे शौक, पसंद, सोच — सब बदलते जाते हैं। एक कहावत है, “जब बाल थे तब कंघी नहीं थी, अब कंघी है तो बाल नहीं।” यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। कुछ चीज़ें जब हमारे पास नहीं होतीं, तब उनकी बहुत चाह होती है। और जब वो मिल जाती हैं, तब वैसी खुशी नहीं होती।

इसलिए ज़िंदगी का असली आनंद इसी में है कि हर पल को खुलकर जिया जाए। जो काम दिल को सुकून दे, उसी में खुद को झोंक दो। अगर किसी चीज़ में 1% भी संभावना है कि वो तुम्हें खुश कर सकती है या तुम्हारा जीवन बेहतर बना सकती है — तो उसे अपनाने से मत डरो।

मेरे अनुसार, जीवन में जब भी हम कोई अच्छा काम कर रहे होते हैं — भले ही वो छोटा हो — हमें उसमें अपना 100% देना चाहिए। क्योंकि वही छोटे-छोटे अच्छे काम मिलकर हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं।

खुश रहो, सच्चे रहो, और जीवन को हर दिन नए नजरिए से देखो। यही जीवन है।

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